मधुर मधुर मृदुल मृदुल, मधुर हवा के गीत |
आसमान की नीली छाया, ये प्यार संगीत |
दिल मांगे आवाज़ चाँद से, महफ़िल में तारों के बीच |
मधुर मधुर मृदुल मृदुल, मधुर हवा के गीत…||
ये स्पर्श बड़ा अनोखा, जुगनू का तारों सा धोखा |
मन की अपनी बात अनोखी, बादल की अपनी प्रीत |
मधुर मधुर मृदुल मृदुल…||
बादल भी अपना भेद छुपाये, बहती हवा में बहता जाये |
सर सर करती हवा पुकारे, नीचे क्यों बैठा मुझे निहारे |
ओ मेरे मनमीत…|
मदर मधुर मृदुल मृदुल….||
बादल का उर भरने आया, नभ पर छाए काली छाया |
क्यों गाता है अपनी उदासी, मुझ पर बरसा दे अपना सारा शोक |
और बसजा तारो के बीच…|
मधुर मधुर मृदुल मृदुल…||
मन कहता है सुनता जाऊँ, कभी मैं भी तारों संग गाऊँ |
पर कोई नहीं सुनता मुझको, ये हवा बड़ा गाती सुन्दर है |
ये हवा बड़ा गाती सुन्दर है, ये हवा बड़ी निर्भीक |
मधुर मधुर,मृदुल मृदुल…||
मैं बादल से करता बिनती, जरा ठहर कुछ दिखता मुझको |
इससे पहले कोई तस्वीर जो बनती, सखी निंद्रा हवा की आई |
कहीं कलेश दोनों में न हो जाए, डरकर मैंने ली आँखे मीच |
मधुर मधुर, मृदुल मृदुल, मधुर हवा के गीत || – पथिक
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Ashish it’s really awesome….good work …keep it up
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Thanks yar
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